अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पूरी दुनिया में भय का माहौल है। पूरे मामले में सबसे ज्यादा किरकिरी अमेरिका की हो रही है। अमेरिका से ताजा खबर यह है कि यह कुछ सांसदों ने आशंका जाहिर की है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार तालिबान के हाथ लग सकते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडेन से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि ऐसा न हो। यदि ऐसा होता है तो यह पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा खतरा होगा। सीनेट और प्रतिनिधि सभा के 68 सांसदों के समूह ने बिडेन को इस बारे में चिट्ठी लिखी है। इसमें पूछा गया है कि तालिबान अपने पड़ोसी पाकिस्तान को अस्थिर न कर सके, यह सुनिश्चित करने के लिए आपकी क्या योजना है? क्या आपके पास यह सुनिश्चित करने की कोई योजना है कि तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान कभी भी परमाणु हथियार हासिल नहीं करेगा?
चिट्ठी में आगे लिखा गया है कि अफगानिस्तान में हालात तेजी से बदले हैं, महिलाओं और लड़कियों के उत्पीड़न, नागरिकों के दमन की खबरे आ रही हैं। अनगिनत अफगानों को उनके घरों से कैद कर दिया गया है। तालिबान अफगानिस्तान से भागने से रोकने के लिए बल प्रयोग कर रहा है। वहीं कुछ देश तालिबान का समर्थन कर रहे हैं। चीन तालिबान के साथ अपने संबंधों मजबूत करना चाहता है। इन सांसदों ने आशंका जताई है कि अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो के सैनिकों की वापसी का परिणाम अकेले काबुल या अफगानिस्तान को नहीं, बल्कि पूरे पश्चिम एशियाई क्षेत्र पर हो सकता है।
पाकिस्तान हमारा दूसरे घर: तालिबान प्रवक्ता
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि इस संगठन के लिए पाकिस्तान “दूसरे घर जैसा है” और तालिबान के नेताओं ने पड़ोसी देश के साथ व्यापार और रणनीतिक संबंधों को गहरा करने की कसम खाई है। प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने यह भी कहा कि तालिबान भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए तालिबान के हमले में पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं है। पड़ोसी देश ने कभी भी उनके मामलों में “हस्तक्षेप” नहीं किया है।