इस बार मौसम विभाग ने औसत से ज्यादा बारिस की भविष्यवाणी की थी। पर हो रहा है इस का उल्टा। औसत वर्षा भी नहीं हुयी है। हालात ये है कि कोण्डागांव क्षेत्र के नदी नाले खुद प्यासे नजर आ रहे है। किसानों के खेत में फसल खडी हैं और जब तक हल्की सी हो रही वारिस से फसल जिन्दा है। अच्छी उपज की सम्भावनायें अब दम तोडती दिख रही है।
अभी की वारिस से ज्यादा लाभ नहीं – बडे कनेरा के किसानों ने बताया कि जिस समय धान की फसल को पानी की जरूरत थी उस समय पानी नहीं बरसने से धान का पौधा कमजोर हो गया है। अगर अभी जो थोडी सी वारिस हुयी वह नही हुयी होता तो फसल पूरी तरह से तबाह हो चुकी होती। कई जगह फसल को पषुओं को चराने की नौबत तक आ सकती थी। पर वर्तमान में हो रही खण्ड वारिस ने पौधों को बचा तो लिया है। पर जितनी पैदावार होनी थी वह किसी भी कीमत पर मिलने वाली नहीं है।
हल्की रिमझिम से फसल है जिन्दा – कोण्डागांव क्षेत्र में पिछले सप्ताह से लगभग रोज ही सांय काल बारिस हो जाती है। हालांकि इसी मात्रा बेहद न्यूनतम होती है तथापि इस वारिस से धान का पौधा सूखने से बच गया हैं । धान की बाली में दाना भी बनेगा पर वह हल्का होगा। इससे किसानों में अभी से चिंता होने लगी है।
दाम अच्छे, पर कम उपज से होगा नुकसान – कोण्डागांव के दर्जनों गांवों सम्बलपुरी, बम्हनी, गिरौला, सोनाबाल, बनियांगांव , बडे बंेंदरी, कोकोडी, पलारी, आदि के किसानों का मानना है कि वर्तमान धान के समर्थन मूल्य के दाम बेहतरीन है। हालांकि ये दाम उन्हे एक मुष्त मिल भी नहीं पाता पर बोनस आदि के रूप में त्यौहारों या फसल की बुबाई आदि मौके पर पैसे मिलने से बडी राहत महसूस होती है।