रायपुर,न्यूज़ धमाका :- बढ़ते आधुनिकीकरण और शहरी जीवन शैली स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। वहीं ध्वनि प्रदूषण से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 55 डेसिबल से अधिक ध्वनि का स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ट्रैफिक, उद्योग, सामाजिक समारोह में ध्वनि सभी को परेशान करती है
चौराहों पर 70 से 80 डेसीबल तीव्रता
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ध्वनि की तीव्रता का स्तर घर के अंदर दिन में 45 तथा रात में 35 डेसीबल से अधिक नहीं होना चाहिए तथा घर के बाहर यह तीव्रता दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए । चौक-चौराहों व ट्रैफिक में यह तीव्रता 70 से 80 डेसिबल और कई बार उससे भी अधिक पाई जाती है, डीजे की तीव्रता इतनी तेज होती है कि घर में कंपन होने लगता है।
बढ़ रहा है तनाव और चिड़चिड़ापन
तेज ध्वनि एक ओर जहां सुनने की क्षमता कम करती जाती है तो, दूसरी ओर स्वभाव में चिड़चिड़ापन और गुस्सा पैदा करती है। इससे अनिद्रा की बीमारी का खतरा है। मानसिक तनाव से कार्य करने की क्षमता भी कम होती है और हिंसक प्रवृति बढ़ती जाती है। विशेषकर बच्चों में याद करने की और किसी भी विषय पर ध्यान लगाने की क्षमता कम कर देती है। यह आगे चलकर उनके करियर के लिए बहुत घातक होता है।