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मुंगेली : एक कमरे का सरकारी स्कूल- कमरा भी इतना जर्जर की बारिश में स्कूल की छुट्टी

मुंगेली न्यूज़ धमाका /// जिले का बिरगहनी प्राथमिक स्कूल में कुल 137 बच्चे अध्ययनरत हैं। जो कि कक्षा वर्ग के हिसाब से पहली में 20, दूसरी में 29, तीसरी में 27, चौथी में 33, व पांचवी में 28 बच्चे हैं। सभी खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। स्कूल भवन के नाम पर यहाँ केवल एक ही कमरा है. जो कि इस कदर जर्जर हालत में है कि बरसात के दिनों में सीपेज के कारण बैठने लायक नहीं रहता. बारिश में बच्चों को छुट्टी दे दिया जाता है. वही वर्तमान समय मे यहां रोटेशन के हिसाब से बच्चों को बैठाया जाता है यानी कि एक कक्षा के बच्चे जब कमरे में बैठते हैं तो बाकी चार कक्षा के बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठते हैं. इस स्थिति में बच्चों को जरूरी शैक्षणिक वातावरण मिलना तो दूर, शैक्षणिक सामग्री का भी लाभ पढ़ने में नहीं मिल पाता।

जिस प्रदेश में सरकारी स्कूल में शहरी इलाके के बच्चे करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित सर्व सुविधायुक्त बिल्डिंग में पढ़ते हों, उसी प्रदेश के ग्रामीण इलाके के बच्चे स्कूल भवन नही होने की वजह से खुले आसमान के नीचे जमीन में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। जो कि अत्यंत ही चिंताजनक है. ऐसी स्थिति भवन नही होने की वजह से निर्मित हो रही है. कहने के लिए तो यह पूरा स्कूल है, लेकिन भवन के नाम पर मात्र एक कमरा है. जिसमे 5 कक्षाओं के संचालन होता है. ऊपर से यह कमरा भी जर्जर अवस्था मे है.

स्थिति यह है कि बरसात के दिनों में बच्चों को छुट्टी दे दिया जाता है. और बाकि समय रोटेशन हिसाब से एक बार में एक क्लास के बच्चों को कमरे में बैठाया जाता है. बाकी क्लास के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ते है. इस तस्वीर ने न सिर्फ शिक्षा विभाग की नाकामियों को उजागर किया है, बल्कि सिस्टम के उस दावे की भी पोल खोल कर रख दी है जहां सरकारी स्कूलों में सर्व सुविधा संसाधनों उपलब्धता की बात कहीं जाती है। जिससे बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि ऐसे में कैसे पढ़ेंगा इंडिया और कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया.. वही पालक भी हुक्मरानों से यह सवाल कर रहे है कि क्या ऐसे ही नवा छत्तीसगढ़ गढ़ा जाता है

यहाँ की दयनीय दशा के बारे में विभागीय अधिकारियों के डर में पहले तो स्कूल के शिक्षकों ने कुछ भी कहने से मना कर दिया। बाद में पालको के हस्तक्षेप के बाद यहां पदस्थ शिक्षकों को बताना पड़ा कि पांच कक्षाओं का संचालन एक ही कमरे में किया जा रहा है। वह भी जर्जर अवस्था में है। एक कक्षा के बच्चे जब कमरे में बैठते हैं तो बाकी को खुले आसमान के नीचे पढ़ाया जाता है।

बता दें कि कोरोना काल मे शिक्षा विभाग की बेचारगी इस कदर है कि कोरोना भी डर जाये क्योकि सोशल डिस्टेंसिंग की उम्मीद करना ही यहां बेकार साबित होगी। वहीं शिक्षकों ने यह भी बताया कि स्कूल परिसर में एक और कमरा है जिसे प्रधान पाठक कार्यालय, स्टाफ कक्ष एवं लाइब्रेरी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है

स्कूल की इस दशा के बारे में स्कूल प्रबंधन की ओर से विभागीय अधिकारियों को समय-समय पर अवगत कराया जाता है. इसके अलावा मॉनिटरिंग करने यहाँ आने वाले अधिकारी भी इससे अनजान नहीं हैं. यानि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी सबकुछ जानकर भी अनजान बैठे हैं. वही इलाके के जनप्रतिनिधियों को भी जनहित से जुड़े ऐसे मसलों पर कोई लेने देन नही वरना यहां की दशा जरूर बदल जाती.

बहरहाल न तो शिक्षा विभाग के अधिकारी और न ही कोई जनप्रतिनिधि इस दिशा में पहल करते नजर आ रहे है. वहीं जब हमने इस स्कूल के अव्यस्थाओ बारे में डीईओ सतीश पांडेय को जब जानकारी दी तब पहले उनकी रुचि स्कूल की ये खामियां मीडिया में कैसे लीक हो रही और और किसके माध्यम से लीक हो रही है इसे जानने में नजर आया उसके बाद उन्होंने बीईओ के माध्यम से स्कूल का निरीक्षण करने के बाद ही मीडिया से अधिकृत रूप से जवाब देने की बात कही।

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Chhattisgarh News Dhamaka Team

स्टेट हेेड छत्तीसगढ साधना प्लस न्यूज ( टाटा प्ले 1138 पर ) , चीफ एडिटर - छत्तीसगढ़ न्यूज़ धमाका // प्रदेश उपाध्यक्ष, छग जर्नलिस्ट वेलफेयर यूनियन छत्तीसगढ // जिला उपाध्यक्ष प्रेस क्लब कोंडागांव ; हरिभूमि ब्यूरो चीफ जिला कोंडागांव // 18 सालो से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। विश्वसनीय, सृजनात्मक व सकारात्मक पत्रकारिता में विशेष रूचि। कृषि, वन, शिक्षा; जन जागरूकता के क्षेत्र की खबरों को हमेशा प्राथमिकता। जनहित के समाचारों के लिये तत्परता व् समर्पण// जरूरतमंद अनजाने की भी मदद कर देना पहली प्राथमिकता // हमारे YOUTUBE चैनल से भी जुड़ें CG SADHNA PLUS NEW

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