गरियाबंद न्यूज़ धमाका // छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में गणतंत्र दिवस पर बुधवार को एक स्कूल में ध्वजारोहण नहीं हुआ। खास बात यह है कि कार्यक्रम के लिए मुख्य अतिथि और ग्रामीण भी पहुंच गए थे, लेकिन स्कूल के मास्टर जी ही नहीं आए। इस संबंध में लोगों ने मोबाइल पर कॉल किया तो बोले कि उन्हें कोरोना के लक्षण हैं, इसलिए नहीं आए। वहीं शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि मास्टर जी अक्सर ही ऐसा करते हैं और स्कूल से नदारद रहते हैं।
दरअसल, पूरा मामला इंदागांव पंचायत के अमली प्राथमिक स्कूल का है। यहां पर इकलौते शिक्षक हिरोराम दुर्गा पदस्थ हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पंच हीरालाल ध्रुव को निमंत्रण दिया गया था। पंच हीरालाल तय समय पर सुबह 7 बजे स्कूल पहुंच गए। उनके अलावा आसपास के ग्रामीण भी पहुंचे थे। वहां करीब 10 बजे तक इंतजार करते रहे, लेकिन मास्टर जी नहीं आए। इसके बाद पंच बिना ध्वजारोहण के ही लौट गए।
स्कूल में नहीं हो सका ध्वजारोहण।
फिर आंगनबाड़ी भवन में फहराया गया तिरंगा
पंच हीरालाल ने बताया कि इसके बाद सभी लोग आंगनबाड़ी भवन पहुंचे और वहां पर ध्वजारोहण किया। सभी ने मिलकर गणतंत्र दिवस मनाया। वहीं इस संबंध में जब शिक्षक हिरोराम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें बुखार है और कोरोना जैसे लक्षण नजर आए हैं। इसके चलते वह स्कूल नहीं गए। हालांकि इस बात की सूचना किसी को भी नही देना मास्टर जी ने स्वीकार किया है।
संकुल प्राचार्य बोले- सबको पता है, वह कैसा है
इस संबंध में जब BEO आरआर ध्रुव से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। वहीं संकुल प्राचार्य ख़िरसिंह नेताम ने कहा कि अभी तक इसकी जानकारी उन्हें नहीं मिली है। वह इस संबंध में जानकारी लेकर अधिकारियों को इसके बारे में सूचित करेंगे। उन्होंने कहा कि मास्टर जी का स्कूल न आने की घटना नई नहीं है। पूरा विभाग जानता है इस बात को। ग्रामीणों की शिकायत पर कई बार जांच भी हो चुकी है।
आंगनबाड़ी केंद्र में ध्वजारोहण की तैयारी।
मॉनिटरिंग सेंटर अब 22 किमी दूर
स्कूलो में मॉनिटरिंग के लिए संकुल केन्द्र बनाये गए हैं। इंदागांव पंचायत का यह आश्रित ग्राम है अमली। पहले इसी संकुल के अधीन इसकी मॉनिटरिंग होती थी। अक्सर शिकायत मिलती, लेकिन निगरानी बढ़ाने की जगह अमली स्कूल को 22 किमी दूर बुर्जाबहाल संकुल के अधीन कर दिया गया। यहां के संकुल प्राचार्य ख़िरसिंह नेताम ने माना कि दूरी और विषम भौगोलिक परिस्थिति के कारण इसकी मॉनिटरिंग संभव नहीं है। कई बार इसके लिए लिखित पत्र अफसरों को दिया गया है।