
एक जमाने में थे लगभग 2000 से अधिक बीएसएनएल के कनेक्षन, अब रह गये 200 से भी कम

मोबाईल की ऐसी आंधी चली के एक समय टेली कम्यूनिकेषन में सरताज रहे बीएसएनएल लगभग अंतिम सांसे गिन रहा है। हालात ऐसे हो गये है कि जिस बीएसएनएन के कार्यालय में महज एक मोबाईल सिम पाने के लिये लोग लाईने लगाते थे, मिन्नतें करते थे, वहां अब सन्नाटा सा पसर गया है। और अधिकारी कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिल पा रहा है। बीएसएनएल कार्यालयों में पडे सामान कबाडे में तब्दील हो गये है। टेलीफोन की घंटी तो सुने षायद हम आपको भी एक जमाना हो गया है। एक समय टेलीफोन की घंटी बजने को विकास की आहट माना जाता था। पर वो जमाना अब गुजर चुका है
2000 में से अब 200 से भी कम बचे
अगर कोण्डागावं नगर की बात करें तो जानकारों के अनुसार सिर्फ कोण्डागांव नगर में ही लगभग 2000 बीएसएनएन के कनेक्षनधारी उपभोक्ता थे जो कि अब दो सौ से भी कम रह गये है। बिरले ही लोग अब बीएसएनएन का फोन इस्तेमाल कर रहे है।

ये वजहें बनी प्रमुख कारण
टेलीफोन के चलन से बाहर होने की प्रमुख वजहों में मोबाईल की एन्ट्री है। आसानी से हर जगह लाने ले जाने की सुविधा के अलावा अन्य अटेचमेंट जैसे घडी, इन्टरनेट, न्यूज, ऑनलाइन ट्रान्जेक्षन, गेम आदि ने फोन को आउट ऑफ डेट कर दिया। इसमें भी बीएसएनएल को इसलिये धक्का लगा क्योंकि टेलीफोन की दुनिया में बीएसएनएन का वर्चस्व था। हर घर ऑफिस में बीएसएनएल के उपभोक्ता थे। पर जैसे ही जिओ ने एन्ट्री मारी जियो के लुभावने फ्री सेटअप योजनाओं के आगे बीएसएनएल सहित दूसरी निजी कम्पनियां भी आज तक सिर्फ अपना अस्तित्व बचाने में लगी है।
एफटीटीएच ने दिया बीएसएनएल को सहारा
हाल ही में बीएसएनएल की एफटीटीएच योजना आरम्भ की है। जिससे इस सरकारी नेटवर्क को कुछ राहत महसूस हो रही है। एफटीटीएच माने फाईबर टू द होम इस में बीएसएनएल ने उच्चस्तर की डाटा योजना व वाॅइस सर्विस आरम्भ की है। जिसमें 50 एमबीपीएस से 100 एमबीपीएस की स्पीड दी जा रही है। कोण्डागावं के एसडीओटी अमृतलाल एक्का ने हरिभूमि से चर्चा में बताया कि इस योजना का तोड नहीं हैं किसी के पास। जिओ में ज्यादा गा्रहक होेने से उसकी क्षमता अब स्तरीय नहीं रहीं है। परेषान या हाई स्पीड चाहने वाले उपभोक्ता अब बीएसएनएल की ओर आने लगे है। हाल ही कोण्डागावं में एफटीटीएच के उपभोक्ताओं में वृद्धि हुयी है। एक बार फिर से कलेक्टर एसपी कार्यालयों सहित अन्य ष्षासकीय विभागों में जहंा कार्य का अधिक दवाब होता हैं वे एफटीटीएच के लिये बीएसएनएल की ओर आने लगे है।
तब खत्म हो जाते थे सिम अब 5 से 10 प्रतिदिन
बीएसएनएल के उच्चाधिकारियांे ने नाम नहीं प्रकाषित करने की षर्त पर बताया कि एक जमाना था जब बीएसएनएल की सिम लेने लोग कतारें लगाते थे और पांच हजार रू में ब्लैक होती थी। आज बीएसएनएल कार्यालय कोण्डागावं मे प्रतिदिन पांच से 10 सिम ही बिक पाती है।