नए और युवा आदिवासी नेताओं की तलाश में भाजपा। बस्तर में वोटरों के दिलों में जगह बनाने के लिए खोज रहे फॉर्मूला।
रायपुर, जगदलपुर (छतीसगढ़ न्यूज़ धमाका)।
छत्तीसगढ़ में लगातार 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद बाहर हुई भाजपा अब वापसी की तैयारी – पांच साल बाद हो रहे चिंतन शिविर में भाजपा न सिर्फ राज्य सरकार को घेरने की रणनीति बनाएगी, बल्कि वोटरों के दिलों में एक बार फिर जगह बनाने का भी प्रयास करेगी। चिंतन शिविर में दो दिन तक देशभर के दिग्गज भाजपा और संघ के नेता यह मंथन करेंगे कि आखिर क्या कारण है कि आदिवासी वोटर पार्टी के पाले से दूर चले गए हैं। इस बीच नए आदिवासी नेतृत्व की तलाश की जाएगी।
चिंतन शिविर में भाजपा और संघ की एक सर्वे रिपोर्ट भी रखी जाएगी,- जिसमें पिछले चुनाव में हार की वजह, सत्ता वापसी में सहायक मुद्दे, आदिवासी वोटरों को लुभाने के लिए चुनावी वादे और युवा आदिवासी नेताओं को किस तरह मुख्यधारा में शामिल किया जाए, इस पर विचार विमर्श भी होगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार शिविर के पहले दिन चले दो सत्र में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार की सर्वे रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि लगातार कुछ खास नेताओं को मौका दिया गया।
आयोजन में अहम किरदार निभा रहे ये – अब बुधवार को इस सर्वे रिपोर्ट पर आगे की बात होगी। इधर, चिंतन शिविर के आयोजन की कमान पूर्व मंत्री केदार कश्यप को सौंपकर भाजपा ने एक तरह से नए ध्रुवीकरण का संकेत दे दिया है। शिविर में भले की प्रदेशभर के बड़े नेता शामिल हो रहे हैं, लेकिन हकीकत में असली कमान आदिवासी नेताओं के ही हाथ में है। प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय और केदार कश्यप चिंतन शिविर के आयोजन में अहम किरदार निभा रहे हैं।
मां दंतेश्वरी का आशीर्वाद, आदिवासी नायकों को नमन
भाजपा ने अपने चिंतन शिविर की शुरुआत मां दंतेश्वरी का आशीर्वाद लेकर किया। शिविर से पहले प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने आदिवासी नायक शहीद गुंडाधूर, आदिवासियों के मसीहा कहे जाने वाले बस्तर महाराज प्रवीरचंद भंजदेव और बस्तर भाजपा के दबंग आदिवासी नेता बलीराम कश्यप को श्रद्धांजलि दी। इसको भाजपा की बदली हुई रणनीति का संदेश माना जा रहा है।
विधानसभा चुनाव के लिए नए चेहरे की तलाश
भाजपा के चिंतन शिविर में पार्टी अदरूनी तौर पर आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश स्तरीय रणनीति तय करेगी। केंद्रीय नेतृत्व ने पिछले लोकसभा चुनाव में उस समय के प्रदेश में भाजपा सांसद रहे सभी नेताओं का टिकट काटकर नए चेहरों को चुनाव लड़ाया था। इस प्रयोग का फायदा भी हुआ। प्रदेश की दो सीटों बस्तर और कोरबा को छोड़कर बाकी नौ सीटों पर भाजपा ने कब्जा बरकरार रखा। चिंतन शिविर में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले नए चेहरों की भी तलाश की जाएगी।