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ANALYSIS: नेतृत्व के मुद्दे पर बीजेपी के आगे ढीली है कांग्रेस, मजबूत लीडरशिप से आता है पार्टी में अनुशासन

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी . (फाइल फोटो)

भाजपा और कांग्रेस के बीच अनुशासन का फर्क है, यह आसानी से दिख सकता है. भाजपा ने बीते कुछ महीनों में 2 राज्यों में सीएम बदले लेकिन विरोध का कोई सुर नहीं उठा. इसके उलट क्या कांग्रेस में ऐसा हो सकता है?

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के खिलाफ अपने ताजा बयान में कहा, ‘मैंने आलाकमान से कहा है कि अगर आप मुझे फैसले नहीं लेने देंगे तो ‘मैं इट नाल इट बाजा दूंगा.’ कांग्रेस (Congress) ने तमाम मांगों के बीच अपने किसी भी मुख्यमंत्री को नहीं बदला लेकिन तीनों राज्यों में पार्टी उन नेताओं के हाथ में हैं जो मुख्यमंत्री को सार्वजनिक रूप से चुनौती देते हैं ऐसा करके वे पार्टी नेतृत्व के अधिकार पर भी सवाल उठा रहे हैं. बीते 2 साल से कांग्रेस के पास स्थायी अध्यक्ष नहीं है. हाईकमान के दिशा निर्देशों के बाद भी गुटबाजी और सार्वजनिक टिप्पणियां हो रही हैं. ऐसे में अनुशासनहीनता की आशंका बढ़ गई है

.नेता ने कहा – ‘क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कांग्रेस के तीन राज्यों में से किसी में भी ऐसा होगा? मुख्य मुद्दा यह है कि कांग्रेस नेतृत्व कमजोर है और इसलिए पार्टी के नेता सार्वजनिक रूप से नेतृत्व पर निशाना साध सकते हैं.’

हालांकि भाजपा ने इस साल तीन मुख्यमंत्री बदले हैं, जिनमें दो उत्तराखंड और एक कर्नाटक का शामिल हैं. इस पूरी प्रक्रिया में बहुत कम सार्वजनिक टीका-टिप्पणी हुई. ‘राजनीति में, महत्वाकांक्षाएं होंगी और महत्वाकांक्षी होंगे, वो अपना मुद्दा पार्टी फोरम पर रखेंगे. लेकिन पार्टी का अनुशासन सर्वोच्च होता है और पार्टी में एक बार शीर्ष नेतृत्व के निर्णय लेने के बाद, सभी उसका पालन करने के साथ ही स्वीकार करते हैं. हमने इसे उत्तराखंड के साथ-साथ कर्नाटक में भी देखा. किसी भी अन्य उम्मीदवार ने मुख्यमंत्री पद के लिए पसंद की आलोचना नहीं की.’विज्ञापन

भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व को पार्टी में ‘अनुशासन के लिए बाध्यकारी शक्ति’ बताते हुए कर्नाटक का उदाहण दिया. उन्होंने कहा बीएस येदियुरप्पा के सीएम पद से हटने के बाद बड़ी शांति से सत्ता का स्थानांतरण हुआ.

छत्तीसगढ़, पंजाब और राजस्थान में क्या हो रहा है?
उदाहरण के लिए राहुल गांधी ने दो दिन पहले दिल्ली में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के साथ अपनी बैठक के दौरान उन्हें अपने मतभेदों को दूर करने के लिए कहा था. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन से इनकार किया था. इसके साथ ही बघेल को अपने मंत्रिमंडल में देव को और अधिक महत्व देने के लिए कहा था. यह स्पष्ट है कि वह पंजाब जैसी स्थिति को दोहराना नहीं चाहते थे जहां सिद्धू खुले तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ लड़ाई में दिख रहे हैं. लेकिन रायपुर पहुंचने पर बघेल ने खुलकर टिप्पणी की और बाद में सीएम बनने के दावे पर कहा- टीम का हर सदस्य कैप्टन बनने की ख्वाहिश रखता है. बघेल को आज फिर दिल्ली तलब किया गया है.

पंजाब में हाईकमान और पंजाब प्रभारी हरीश रावत की बार-बार गुहार लगाने के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से भिड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ा. इस हफ्ते, सिद्धू ने सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करते हुए 20 विधायकों के एक समूह से मुलाकात की. पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने News18 को बताया, ‘अकाली दल और आप से लड़ने के बजाय, हम अब तक आपस में लड़ने में व्यस्त हैं क्योंकि सिद्धू CM की कुर्सी को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.’विज्ञापन

राजस्थान में सचिन पायलट ने अब तक सार्वजनिक रूप से एक सम्मानजनक स्थिति बनाए रखी है, लेकिन उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है क्योंकि लगभग दो महीने से पार्टी द्वारा मंत्रिमंडल में फेरबदल के लिए विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप कोई कार्यवाही नहीं हुई है. पायलट अगले महीने राज्य में विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले अपने वफादारों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब तक नहीं माने हैं. स्थिति मध्य प्रदेश की तरह दिख रही है, जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया का सब्र खत्म हो गया और उन्होंने अपने 20 वफादार विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए और कमलनाथ की सरकार गिर गई.

पार्टी को मिले बहुमत को देखते हुए ऐसा लगता है कि कांग्रेस शासित तीन राज्यों में सरकार गिराने का कोई खतरा नहीं है. लेकिन सार्वजनिक विवाद के चलते पार्टी के लिए पंजाब में चुनाव से पहले मुसीबत खड़ी हो सकती हैं. राज्य में चुनाव सिर्फ 5 महीने दूर हैं. पंजाब में खींचतान टिकट वितरण के दौरान बढ़ सकती है और चुनाव में कांग्रेस के लिए स्थिति खराब हो सकती है.

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Chhattisgarh News Dhamaka Team

स्टेट हेेड छत्तीसगढ साधना प्लस न्यूज ( टाटा प्ले 1138 पर ) , चीफ एडिटर - छत्तीसगढ़ न्यूज़ धमाका // प्रदेश उपाध्यक्ष, छग जर्नलिस्ट वेलफेयर यूनियन छत्तीसगढ // जिला उपाध्यक्ष प्रेस क्लब कोंडागांव ; हरिभूमि ब्यूरो चीफ जिला कोंडागांव // 18 सालो से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। विश्वसनीय, सृजनात्मक व सकारात्मक पत्रकारिता में विशेष रूचि। कृषि, वन, शिक्षा; जन जागरूकता के क्षेत्र की खबरों को हमेशा प्राथमिकता। जनहित के समाचारों के लिये तत्परता व् समर्पण// जरूरतमंद अनजाने की भी मदद कर देना पहली प्राथमिकता // हमारे YOUTUBE चैनल से भी जुड़ें CG SADHNA PLUS NEW

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