कृषि वैज्ञानिक इसे बता रहे मौसम में परिवर्तन आने के कारण हुआ परिवर्तन।
उग्रेश देवांगन अनुविभागीय कृषि अधिकारी कोण्डागांव – माइक्रो क्लाईमेट परिवर्तन की वजह से कुछ पेड़ो में बेमौसम भी फल और फूल आने लगते है। इसी कारण से बडे कनेरा के मारी गुडा क्षेत्र में महुआ के पेड़ में लोगो को इस मौसम में फूल खिलते दिख रहे है। हालांकि यह विज्ञान के लिये भी कौतुहल का विषय है।
कोंडागांव न्यूज़ महुआ वृक्षों पर फूल देख कर गांव के बुजुर्ग है पेषोपेष में, गांव में कहीं ना आ जाये बडी आपदां जिला मुख्यालय से लगभग 24 किमी दूर गा्रम पंचायत बडे कनेरा के मारीगुड़ा में दर्जनों महुआ के वृक्षों पर महुआ फूल आने लगे है। यहां लगे महुआ के पेड़ों से सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह से सुबह-सुबह महुआ फूल टपकने लगे हैं। जिन्हें देखने वालों की भीड़ लग रही है। बेमौसम हुई इस पैदावार को लेकर विशेषज्ञों ने इसे मौसम में हो रहे बदलाव को कारण माना है। वहीं गांव के गा्रमीण इस बात से आषंकित नजर आ रहे है कि गांव में ऐसा पहली बार हो रहा है तो गांव पर कहीं कोई बडी प्राकृतिक आपदा न आ जाये।
क्षेत्र के ग्रामीणों है हैरत
एक ओर जहां ये आश्चर्य का विषय है वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञ इस संबंध में विचार-विमर्श भी कर रहे हैं। हालांकि फिलहाल असयम पेड़ों में लगने वाले फलों का एकमात्र कारण सीजन में आया परिवर्तन ही बताया जा रहा है। गर्म मौसम में फूलने व टपकने वाला महुआ अब ठंड में भी टपकने लगा है। जबकि रबी की फसल एवं चैत्र नवरात्र के समय महुआ फूल की पैदावार होती है।
दर्जनों पेड़ों में आ गया है महुआ फूल
बडे कनेरा के मारीगुड्डा क्षेत्र में दर्जनों महुआ के ऐसे पेड़ हैं, जिनमें हर सुबह महुआ फूल झडते है। पिछले महीने की शुरुआत में इन पेड़ों पर छोटे-छोटे महुआ फूल दिखाई दिये थे। जो अब बड़े हो गए हैं। महुआ फूल देख कर समलू राम व श्रवण मानिकपुरी, दोहरू राम, इतवारिन बाई आदि का कहना है कि कई दशकों से वे महुआ फूल बीन रहे हैं, लेकिन सितम्बर माह में पहली बार महुआ में फूल देखने में आए हैं। क्योंकि महुआ फूलने का सही मौसम मार्च-अप्रैल के बीच ही होता है।