रायगढ़,न्यूज़ धमाका :- छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में थैलेलेसीमिया और सिकलिंग से संक्रमित बच्चे जिन्हें हर माह खून की जरूरत होती हैं वह रक्तदाताओं के कारण पूरी होती है। इलाज के लिए खून की जरूरत रक्तदाता ही पूरी करते हैं। लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करने के लिए हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है।
इस अवसर पर मंगलवार को कलेक्टोरेट स्थित सभाकक्ष सृजन में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसके अलावा जिलेभर में रक्तदान को लेकर विविध जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये गए।
राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के छात्र गांव-गांव जाकर लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक कर रहे हैं। एनएसएस के जिला संगठन प्रभारी भोजराम पटेल बताते हैं: “रक्तदान के लिए एनएसएस के छात्रों को प्रेरित किया जाता है और यही छात्र दूसरों को भी प्रेरित करते हैं।
हम जहां भी शिविर लगाते हैं वहां कोशिश रहती है कि रक्तदान शिविर का आयोजन करें।” जिले में ब्लड रायगढ़ नाम की संस्था स्थापित करने वालों में से एक अमितेश गर्ग की मानें तो “एक यूनिट रक्तदान में 350 मिलीग्राम खून लिया जाता है। रक्तदान के बाद हुई खून की कमी 24 घंटे में पूरी हो जाती है।
एक यूनिट खून से एक यूनिट, प्लाज्मा, एक यूनिट प्लेटलेट्स, एक यूनिट आरबीसी और एक यूनिट क्रायो मिलता है। इनसे अलग-अलग चार लोगों का जीवन बचाया जा सकता है।
हर तीन महीने के अंतराल पर दोबारा रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान के लिए शरीर का न्यूनतम वजन 45 किलो होना चाहिए। रक्तदान करने से हार्टअटैक और कैंसर की आशंका कम हो जाती है।”