डॉ अनुरूप साहू ने बताया कि बच्चों में साधारण सर्दी खांसी बुखार होने पर इलाज में की जाने वाले लापरवाही आगे जाकर निमोनिया का रूप लेती है।
जगदलपुर न्यूज़ पीडियाट्रिक वार्ड में भर्ती 30 में से 26 बच्चे निमोनिया पीड़ित हैं डाॅक्टरों की माने तो लंबे समय के बाद ऐसा ट्रेंड देखने को मिल रहा है जब हॉस्पिटल इलाज के लिए पहुंचने वाले 90 प्रतिशत बच्चे निमोनिया पीड़ित हैं। इसके अलावा इस मामले में चिंताजनक बात यह है कि जिन 26 बच्चों को इलाज के लिए यहां भर्ती किया गया है उनमें से करीब 6 बच्चे ऑक्सीजन पर भी हैं।डाॅक्टरों का कहना है कि अभी बदलते मौसम के कारण बच्चों की सेहत पर असर पर पड़ रहा है और साधारण सर्दी, खांसी बुखार के इलाज में लापरवाही के चलते बच्चे निमोनिया तक पहुंच रहे हैं। हालांकि इस मामले में राहत की बात यह कि अभी विशेषज्ञों ने दावा किया था कि इस समय कोरोना की तीसरी लहर आएगी और इसकी चपेट में ज्यादा संख्या में बच्चे आएंगे हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ और बच्चों पर निमोनिया का अटैक हो गया।निमोनिया को भी कोरोना का कहीं एक रूप माना जाता है इससे पीड़ित लोगों में वे सभी लक्षण होते हैं जो कोरोना पीड़ित लोगों में होते हैं हालांकि इसमें रिकवरी रेट ज्यादा होती है और बच्चों और बड़ों को ज्यादा खतरा नहीं होता है।
छोटी-सी लापरवाही निमोनिया तक पहुंचा रही
मेकॉज के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ अनुरूप साहू ने बताया कि बच्चों में साधारण सर्दी खांसी बुखार होने पर इलाज में की जाने वाले लापरवाही आगे जाकर निमोनिया का रूप लेती है। ऐसे में उन्होंने कहा है कि लोग बच्चों में होने वाले साधारण सर्दी-खांसी, बुखार को गंभीरता से लें। उन्होंने कहा कि अभी हम सर्दी, खांसी से पीड़ित बच्चों का तत्काल चेस्ट एक्सरे करवा रहे हैं और इसके बाद आगे का ट्रीटमेंट चला रहे हैं।
सरकार टीका भी मुफ्त में लगा रही
इधर बच्चों को सर्दी, खांसी और ऐसी ही बीमारियों से बचाने के लिए डेढ़ माह से लेकर 15 महीने तक के बच्चों को पीसीवी(न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीनेशन) का निशुल्क टीका भी लगाया जा रहा है जो काफी महंगा होता है। सरकार टीकाकरण अभियान चला रही है लेकिन इस अभियान में निशुल्क तौर पर सिर्फ 15 महीने तक के बच्चों को ही टीका लगाया जा रहा है जबकि यह डेढ़ महीने से लेकर 65 साल तक के लोगों को लगाया जा सकता है। ऐसे में निजी क्लिनिकों में यह टीका डाॅक्टर बड़े बच्चों को भी लग रहे हैं।