रायपुर न्यूज़ धमाका // छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए गांवों में बने गोठान अब परिवारों की आजीविका का मुख्य साधन बनने लगे हैं। प्रदेश में गोठान रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में संवर रहे हैं। गोठान में महिला स्वसहायता समूहों की सदस्य 13 विभिन्न् प्रकार की जीविकोपार्जन गतिविधियों में लगी हैं और अच्छा लाभ कमा रही हैं। गोठान में वर्मी खाद उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, अंडा उत्पादन, बकरी पालन, अगरबत्ती निर्माण, दोना-पत्तल निर्माण, मिनी राइस मिल, मछली पालन, मशरूम उत्पादन से लेकर गोबर के दीया, गमला, मूर्तियां, गोबर काष्ठ बनाने जैसी आजीविका गतिविधियां की जा रही हैं। गोठान आसपास के परिवारों की आजीविका का मुख्य केंद्र बन गया है।
कोरबा के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड के महोरा गांव के गोठान के हरेकृष्णा स्वसहायता समूह का हसदेव अमृत ब्रांड जैविक खाद गुणवत्ता के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे पहले सीजी सर्ट सोसायटी सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाला खाद है।
इस खाद का उपयोग वन विभाग द्वारा पौधारोपण के लिए और उद्यानिकी विभाग द्वारा फसलों के लिए किया जा रहा है। समूह की कांति देवी कंवर कहती है कि यह तो सोने पर सुहागा है कि हमें बिना लागत के जैविक खाद से दस रुपये प्रति किलोग्राम कमाई हो जाती है। खपत के लिए गांव में ही जरूरत होती है, साथ ही शासकीय विभागों द्वारा मांग जारी की जाती है। समूह ने नीम करंज के तेल, अवशेष और अर्क से निमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्नेयास्त्र, फिनाइल, गौमूत्र से निर्मित जैविक कीटनाशक जैसे जैविक उत्पाद भी बनाए हैं। इसका उपयोग खेती किसानी से लेकर घरों तक में किया जा रहा है।
गोबर से गमला, दीया, गोबर काष्ठ बनाने की मशीनें गोठान में लगाई गईं हैं। गोबर उत्पादों से महिला समूहों ने दोना-पत्तल और अगरबत्ती बनाकर लगभग 10 हजार रुपये की आय प्राप्त की है। कोसा धागाकरण के लिए भी रेलिंग मशीनें स्थापित की गई है। धागाकरण में लगे पूजा स्वसहायता समूह की महिलाओं ने इससे लगभग 10 हजार रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित की है। प्लास्टिक के बोरों पर ब्रांड नेम की प्रिंटिंग का काम भी होता है। यहां से पूरे जिले में इन प्रिंटेड बोरों को मांग अनुसार भेजा जाता है।