कोर्ट सुनायी चार साल की सजा, तीन लाख का जुर्माना
कोंडागांव न्यूज़ नगर की एक महिला रेणू मिश्रा ने आरक्षक स्व राम चंद मिश्रा को अपना पति बता कर उसकी पेंसन अपने नाम कर ली जब आरक्षक की पत्नि राम प्यारी यूपी निवासरत है। अदालत ने उन्हे चार साल की सजा और तीन लाख जुमार्ना की सजा दी है। रेणू मिश्रा नगर में एक जाना पहचाना नाम है और वे राजनीति में भी पैठ रखती है।
08 साल बाद आया फैसला – आठ साल पूर्व कोण्डागांव थाना में हुयी थी एफआईआर। इस प्रकरण में प्राथी के द्वारा थाना कोण्डागांव में एक लिखित षिकायत प्रस्तुत किया गया कि स्व. रामचन्द्र मिश्रा पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर कार्यरत था जिसकी सेवा पुस्तिका में नामिनी के रूप में उसकी पत्नी रामप्यारी का नाम अंकित है, जो वर्तमान में उत्तरप्रदेष में निवासरत है। रेणु मिश्रा स्व. रामचन्द्र मिश्रा के पुत्र अषोक मिश्रा की पत्नी और स्व. रामचन्द्र मिश्रा की बहू है । श्रीमती रेण मिश्रा पति अषोक मिश्रा निवासी सरगीपाल कोण्डागांव द्वारा तहसीलदार कोण्डागांव के समक्ष 07 फरवरी .2009 को एक झूठा आवेदन स्वयं को स्व. रामचन्द्र मिश्रा की पत्नी बताकर प्रस्तुत किया, जिसमें उसके द्वारा स्वयं का फोटो लगाया गया था । रेणु मिश्रा द्वारा छल-कपट कर स्वयं को रामप्यारी मिश्रा बताकर उसके नाम से हस्ताक्षर किया गया है एवं आवेदन में मृतक के नाबालिग पुत्र-पुत्रियों के रूप में अपनी पुत्रियों कु. वंदना मिश्रा एवं कु. साधना मिश्रा के नाम का उल्लेख किया गया है । प्रार्थी के उक्त लिखित शिकायत के आधार पर जांच किये जाने के उपरांत आरोपीया श्रीमती रेणु मिश्रा के विरूद्ध थाना कोण्डागांव में अप.क्र. 272/2013 धारा 420 भा.दं.सं. के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर प्रकरण को विवेचना में लिया गया
धोखाधडी के मामले में आया फैसला
श्रीमती रेणू मिश्रा ने स्वयं को दूसरी महिला बताकर शासन द्वारा प्रदान की जाने वाली पेंषन निधि को छल कपट से प्राप्त कर पेंषन राषि का दुरूपयोग किया । श्रीमती रेणु मिश्रा द्वारा पेंषन के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच कर आवष्यक कार्यवाही की गयी । विवेचना उपरांत आरोपिया के विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य पाये जाने पर अभियोजन पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया ।
अदालत ने सुनायी चार साल की कैद
प्रकरण पर विचारण कर कोण्डागांव जिला के अपर सत्र न्यायाधीश, के.पी. सिंह भदौरिया ने आरोपीया को धारा 420 भा.दं.सं. के अपराध में 04 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 300000.00 रू0 तीन लाख के अर्थदण्ड, अर्थदण्ड नहीं पटाने पर 01 वर्ष के अतिरिक्त सश्रम करावास, की सजा भुगताये जाने का आदेष पारित किया गया है ।
अदालत की सुनवायी पूरी होने पर दिया गया है फैसला – इस प्रकरण में शासन की ओर से दिलीप जैन, लोक अभियोजक ने पैरवी की। प्रकरण के संबंध में लोक अभियोजक दिलीप जैन ने बताया कि यह अपील प्रकरण मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट,कोण्डागांव के निर्णय आदेष कि विरूद्ध प्रस्तुत किया गया ।