रायपुर,न्यूज़ धमाका :- हिंद सिंध का 315 वर्ष प्राचीन भारतीय संस्कृति सभ्यता का प्रतीक पूज्य शदाणी दरबार तीर्थ के माध्यम से 800 तीर्थयात्रियों को हरिद्वार ऋषिकेश बद्रीनाथ की यात्रा करवाई गई ये यात्रा 08 से 13 जून 2022 तक रही। ये यात्रा 06 जून को राजधानी एक्सप्रेस के माध्यम से दिल्ली पहुंचे और बसों के द्वारा हरिद्वार गई।
दरबार तीर्थ के सचिव उदय शदाणी ने बताया की 08 जून को हरिद्वार में प्रात:07 बजे संत शदाणी गंगा घाट पर विश्व शांति के लिए हवन यज्ञ, जनऊ संस्कार, गंगा पूजन,आरती,स्नान संत महात्मों महंदलेश्वर दर्शन किए, भारत माता दर्शन एवं वहीं स्थापित दरबार के प्रथम संत शिव अवतारी सतगुरू संत शदाराम साहिब, दरबार के पंचम पीठाधीश्वर पूज्य माता हसी देवी एवं अष्टम पीठाधीश्वर सतगुरू संत गोबिंदराम साहिब जी की आरती भजन कीर्तन हुआ रात्रि में हरिद्वार में स्थापित पूज्य शदाणी दरबार तीर्थ में भजन कीर्तन विशेष रूप से संत समागम जिसमें विशेष रूप से आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद जी महाराज, स्वामी विवेकानंद जी महाराज, स्वामी वृंदावन इस्कॉन मंदिर के परमुख श्री शीशपाल शर्मा जी महाराज एवं अन्य संत आचार्य उपस्थित रहे। 09 जून प्रात संत शदाणी गंगा घाट पर पूजन आरती स्नान एवं श्री पूज्य बद्रीनाथ धाम के लिए रवानगी। बद्रीनाथ प्रात दर्शन, 11 पिंडदान किए गए पूर्वजनो के मोक्ष गंगा जी में स्नान किया गया।
श्री गणेश गुफा एवं जहां भगवान गणेश जी ने महाभारत लिखी एवं जहां से पूज्य माता सरस्वती जी उत्पन हुई वहां भी तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए। 10 जून बद्रीनाथ दर्शन एकादशी गुफा के दर्शन एवं जहां से पूज्य एकादशी माता उत्पन हुई वहां के दर्शन संत समागम एवं हरिद्वार हेतु बसों द्वारा रवानगी। 11 जून हरिद्वार स्थापित मंदिरों के दर्शन हर की पौड़ी में स्नान पूजन एवं आरती में जत्था शामिल हुआ उसके पश्चताप पूज्य दरबार तीर्थ में भजन कीर्तन एवं स्वामी जितेंद्र नाथ जी एवं अन्य संत आचार्य उपस्थित हुए स्वामी जितेंद्र नाथ जी ने धाम से माला विशेष रूप से धर्मगुरु संतश्री युधिष्ठिरलाल जी महाराज के लिए लाए और संत जी को अर्पण किए और स्वामी जी ने आशीर्वाद वचनों में कहा हम भागवत कृपा की महिमा नही कर सकते वैसे हम पूज्य शदाणी संतों की महिमा नही कर सकते क्योंकि शदाणी संत राष्ट्रीय की चिंता करते हैं सभी को धर्म से जोड़ने का कार्य करते हैं और न केवल भारत में सिंध में भी धर्म यात्रा के लिए धर्म प्रेमियों को लेक जाते हैं।
ऐसे कहते हैं भगवान का सामर्थ पुरषार्थ नापा नहीं जाता ऐसे शदाणी संतो की महिमा नहीं की जा सकती शदाणी संत हमेशा जगकल्याण के कार्य करते हैं विश्व शांति हेतु हवन यज्ञ पित्रों के मोक्ष मिले उसकी चिंता करते हैं इसलिए ऐसी तीर्थयात्रा आपके लिए करवाते हैं। तीर्थ का मतलब होता हैं जहां से आपको मोक्ष का द्वारा प्राप्त होता है। धर्मगुरु संतश्री युद्धिष्ठिरलाल जी महाराज ने कहा सतगुरू स्वामी जितेंद्र नाथ जी महाराज का आभार धन्यवाद किया
जिन्होंने बद्रीनाथ केदारनाथ हिमालय कैलाश पर्वत की यात्रा कर हरिद्वार में सभी तीर्थयात्रियों ने अपना आशीर्वाद उसका फल प्राप्त किया एवं संत जी ने उनको सरोपा डालकर उनका समान किया। दरबार से गई जत्थे को उत्तराखंड सरकार द्वारा विशेष पुलिस प्रोटोकॉल में रखा गया था।दरबार तीर्थ से गया हुआ 800 तीर्थयात्रियों का जत्था कल 13 जून को सुबह शुभ पूर्णिमा तिथि रायपुर पहुंचेगा।