स्वाध्याय, संवर, पौषद, प्रतिक्रमण, तप, प्रवचन जिनवाणी मय हो गया है कोण्डागांव। वास्तविक धर्म के मर्म का किया जा रहा है प्रचार-प्रसार। प्रगति के तप की सभी ने सराहना की है।
कोंडागॉंव जैन समाज में वर्षा वास चातुर्मास का एक अलग महत्व है। उस पर अब चार माह के लिए जैन गंरुओ का भी आगमन भी नगर में हो चुका है, तो पूरा समाज ही भक्ति में डूब गया है। इसी कड़ी में नगर की प्रगति गोलछा पिछले 45 दिनों से सिर्फ गर्म पानी का ही सेवन कर उपवास कर रहीं है। वो भी पानी सिर्फ दिन में ही इस उपवास में शाम होते ही पानी का सेवन भी वर्जित हो जाता है। जैन धर्म में आमजनों को इन चार माह में संयमपूर्वक जीवन व्यतीत करने का उपदेश है। उक्त चार माह में किसी भी प्रकार से क्रोध नहीं करते हैं और संयम का पालन किया जाता हैं। इन 4 महीनों में व्यर्थ वार्तालाप, अनर्गल बातें, गुस्सा, ईष्र्या, अभिमान जैसे भावनात्मक विकारों से बचने की कोशिश की जाती है। सभी भौतिक सुविधाओं का किया जाता है त्याग – चातुर्मास में सभी भौतिक सुख सविधाओं का त्याग कर के संयमित जीवन बिताया जाता है। पंखा, कूलर और अन्य सुख-सुविधाओं के साधनों के साथ ही टीवी और मनोरंजन की चीजों से दूरी बना ली जाती है।. चातुर्मास में अन्य प्राणियों को साधुओं के निमित्त से कम हिंसा हो तथा उन जीवों को ज्यादा अभयदान मिले। उसके दृष्टिगोचर कम से कम तो वे 4 महीने के लिए एक गांव या एक ठिकाने में रहने के लिए अर्थात विशेष परिस्थितियों के अलावा एक ही जगह पर रहकर स्वकल्याण के उद्देश्य से ज्यादा से ज्यादा स्वाध्याय, संवर, पौषद, प्रतिक्रमण, तप, प्रवचन तथा जिनवाणी के प्रचार-प्रसार को महत्व देते हैं।
छोडा व्हाटसअप और फेसबुक – समाज के सदस्य अधिवक्ता ष्षासकीय लोक अभियोजक दिलीप जैन ने अपनी फेसबुक आज बंद कर दी है। समाज के अधिकांष लोगों ने अपने को कृत्रिम जीवन से दूर रखने का प्रयास किया है।