
बिलासपुर न्यूज धमाका – छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक तलाक विवाद में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए फैमिली कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा है। पति द्वारा लगाए गए मानसिक और शारीरिक क्रूरता, परित्याग और विवाहेतर संबंधों के आरोपों को गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट ने पत्नी की याचिका खारिज कर दी है।
क्या है मामला?
जशपुर जिले के एक व्यक्ति की शादी 25 अप्रैल 2008 को पत्थलगांव में हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। दंपती के दो बच्चे हैं। पति ने आरोप लगाया कि शादी के एक साल बाद ही पत्नी का व्यवहार बदल गया। वह घर के कामों की अनदेखी कर फेसबुक पर अन्य पुरुषों से अश्लील चैटिंग करने लगी।
27 दिसंबर 2017 को जब पूरा परिवार मैहर घूमने गया, तो वहां पत्नी ने अपने पुरुष मित्र को बुला लिया और उसके साथ चली गई। पति ने तत्काल गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। 2 जनवरी 2018 को पुलिस ने महिला को मित्र की निशानदेही पर किराए के मकान से बरामद किया और उसके भाई को सौंप दिया।
9 मार्च को पत्नी फिर से पति के घर लौटी, लेकिन उसका व्यवहार नहीं बदला। मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना से परेशान होकर पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने सबूतों के आधार पर मंजूर कर लिया।
पत्नी ने लगाए प्रत्यारोप
फैसले को चुनौती देते हुए पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उसने दावा किया कि विवाह के बाद से ही पति और ससुराल पक्ष उसे प्रताड़ित करते थे। उन पर ₹8 लाख दहेज लाने का दबाव बनाया गया। इतना ही नहीं, पत्नी ने पति की भाभी के पति पर अवैध संबंध बनाने की कोशिश का भी आरोप लगाया।
इसके अलावा, उसने यह भी दावा किया कि 12 नवंबर 2018 को पति ने बेटी के साथ भी गलत हरकत करने की कोशिश की, जिसकी रिपोर्ट पत्थलगांव थाने में दर्ज कराई गई।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
पति ने अपने पक्ष में इलाज के दस्तावेज, सोशल मीडिया चैटिंग के स्क्रीनशॉट्स और अन्य सबूत पेश किए। सभी तथ्यों और गवाहों को देखने के बाद हाईकोर्ट ने पाया कि फैमिली कोर्ट का फैसला सही था। इस पर पत्नी की अपील को अस्वीकार कर दिया गया।
मांग थी करोड़ों की क्षतिपूर्ति
पत्नी ने तलाक के एवज में ₹1.5 करोड़ दहेज वापसी, ₹50 लाख मानसिक प्रताड़ना का मुआवजा, साथ ही सोने-चांदी के आभूषण, बच्चों की पढ़ाई और भरण-पोषण का खर्च मांगा था।
न्यायपालिका का सख्त संदेश
इस निर्णय के जरिए कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि विवाह के बाद कोई पक्ष लगातार गैर-जिम्मेदाराना या प्रताड़नात्मक व्यवहार करता है, तो उसके खिलाफ न्यायिक कार्रवाई हो सकती है। विवाह संस्था में विश्वास बनाए रखने के लिए पारदर्शिता और आपसी सम्मान जरूरी है।