राज्यपाल अनुसुइया उइके चित्रकोट वाटरफॉल का लुफ्त उठाने भी पहुंचीं। यहां माड़िया जनजाति के नर्तक दलों ने विश्व प्रसिद्ध गौर नृत्य, दरभा इलाके के मुरिया नर्तकों ने लेजा परब के साथ राज्यपाल का स्वागत किया। पारंपरिक वेशभूषा धारण कर लोक वाद्य यंत्रों के स्वर के बीच राज्यपाल अनुसुइया उइके ने भी ताल से ताल मिला कर लोक नृत्य का आनंद लिया।
राज्यपाल अनुसुइया उइके अधिकारियों की बैठक ली।उन्होंने जनजाति समुदाय की उन्नति के लिए शासकीय योजनाओं की जानकारी उन तक पहुंचाने के अधिकारियों को निर्देश दिए। कोरोना नियंत्रण के लिए किए जा रहे कामों की समीक्षा की। अधिकारियों से स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, कृषि एवं अन्य रोजगार मूलक कार्यों के संबंध में जानकारी ली। दरभा इलाके की स्व सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा पपीता की सामुदायिक खेती एवं कॉफी की खेती के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
जगदलपुर न्यूज़ धमाका /// छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके इन दिनों बस्तर पहुंची हुई हैं। यहां उन्होंने जगदलपुर में स्थित मां दंतेश्वरी की पूजा अर्चना की। साथ ही बस्तर के राजा कमलचंद भंजदेव से बस्तर दशहरा की सारी रस्में जानी। राज्यपाल अनुसुइया उइके राजा के साथ अश्वपूजा में भी शामिल हुईं। वहीं बस्तर दशहरा की महत्वपूर्ण रस्मों में से एक बाहर रैनी रस्म की अदायगी को करीब से देखा। राज परिवार के सदस्यों के साथ दोना में चावल खाकर नवाखाई रस्म भी निभाई। साथ ही आदिवासी संस्कृति का पारंपरिक वाद्य यंत्र मोहरी भी बजाई।विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा में किलेपाल क्षेत्र के माड़िया जनजाति सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार विजय रथ को चुराकर कुम्हड़ाकोट लेकर आए। रथ को खोजने राज परिवार पूरे लाव-लश्कर के साथ कुम्हड़ाकोट पहुंचा। यहां राज परिवार ने रथ की वापसी के लिए मान-मन्नोवल किया। वहीं परंपरा के अनुसार, माड़िया समुदाय ने नवाखाई की शर्त रखी, जिसे राज परिवार स्वीकार कर लिया। यहां नवाखाई की रस्म पूरी की गई। वहीं माड़िया समुदाय ने रात को रथ को वापस राज महल पहुंचा दिया है।