कोरबा,न्यूज़ धमाका :-पूरे देश में सितंबर 2021 में इंड्यूजवल पावर प्लांट (आइपीपी) कोयला भंडारण चार दिनों का था। देश के सात राज्यों के बिजली संयंत्रों में भले ही कोयले का संकट गहरा गया हो,लेकिन छत्तीसगढ़ के बिजली संयंत्रों में अभी भी 12 से 15 दिन का स्टाक है। कोल इंडिया से संबद्ध कंपनी साउट इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) प्राथमिकता के आधार पर बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति कर रही है। वहीं गैर बिजली सेक्टर को रेल रैक से कोयला आपूर्ति बंद कर दिया गया है। केवल सड़क मार्ग से 50 फीसद कोयला दिया जा रहा है। इसकी वजह से लघु उद्योग तालाबंदी की कगार पर पहुंच गए हैं।
तब एसईसीएल का औसतन कोयला उत्पादन 2.22 लाख टन प्रतिदिन रहा। औसतन 27.6 रैक प्रतिदिन लोड किए जाते थे। अक्टूबर 2021 से आइपीपी के कोयला भंडारण में सुधार होना शुरू हुआ और मार्च 2022 तक यह नौ दिनों के औसत पर पहुंच गया। उधर तब तक एसईसीएल में कोयले का उत्पादन भी ढाई गुना बढ़ कर औसतन 6.09 लाख टन प्रतिदिन स्तर पर पहुंच गया। प्रदर्शन में सुधार के साथ ही औसत रैक लोडिंग बढ़ कर 36.2 लाख टन प्रतिदिन के स्तर पर पहुंच गई। वर्तमान में घट कर फिर 4.50 लाख प्रतिदिन उत्पादन हो गया है। एसईसीएल प्रबंधन की पहली कोशिश यह है कि बड़े बिजली संयंत्रों को कोयला आपूर्ति की जाए। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी के संयंत्रों में औसतन 15 दिन, एनटीपीसी कोरबा में 14 दिन, एनटीपीसी लारा में 17 व एनटीपीसी सीपत में 20 दिन का कोयला स्टाक है। एसईसीएल व बिजली संयंत्र के प्रबंधन को यह पता है कि बारिश में कोयला आपूर्ति प्रभावित होगा, इसलिए अभी से पर्याप्त स्टाक की कवायद की जा रही। वहीं गैर बिजली सेक्टर स्पंज आयरन, सीमेंट फैक्ट्री समेत अन्य करीब एक हजार लघु उद्योगों को मांग के अनुरूप कोयला नहीं मिल पा रहा।
समय पर ई-आक्शन व स्पाट- आक्शन नहीं
राज्य के गैर बिजली सेक्टर व कैप्टिव पावर प्लांट (सीपीपी) में कोयला आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई। पहले तो समय पर ई-आक्शन व स्पाट- आक्शन नहीं हुए। आक्शन की तारीखों को या तो बढ़ा दिया गया या फिर रद्द कर दिया गया। फ्यूलसेल एग्रीमेंट के तहत उपभोक्ताओं को मिलने वाले कोयले की मंथली सिड्यूल क्वांटिटी (एमएसक्यू) को 100 फीसद से कम करके 75 फीसद कर दिया गया। अभी कुछ दिनों पहले गैर बिजली सेक्टर के उद्योगों को रेल रैक से कोयला दिए जाने पर पूरी तरह रोक लगा दिया गया। अब स्थिति यह है कि सीमेंट, स्पंज आयरन के अलावा सीपीपी आधारित संयंत्र बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं।