बलरामपुर न्यूज़ धमाका /// जिले के नगर क्रमांक पांच में किराए के मकान में रहने वाले सीएएफ के जवान एवं उसकी पत्नी के द्वारा पत्नी की सगी आठ वर्षीय भतीजी को प्रताड़ित किए जाने के मामले में आरोपित दंपती के विरुद्ध मकान मालिक राजेश सिंह के आवेदन व बच्ची के बयान के आधार पर पुलिस ने धारा 323, 324,34 व बाल संरक्षण अधिनियम धारा 75 के तहत मामला पंजीबद्ध कर गिरफ्तार कर लिया। दोनों को न्यायालय में पेश किया गया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है।
राजेश कुमार सिंह के घर में किराए पर सीएएफ का जवान विक्रम शर्मा, पत्नी सुमन शर्मा के साथ रहता था, जहां उनकी पत्नी की सगी आठ वर्षीय भतीजी भी रहती थी। मासूम बालिका को पति- पत्नी के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था। बच्ची के लगातार रोने की आवाज आने के बाद मकान मालिक राजेश सिंह के द्वारा इसकी सूचना पुलिस को दी गई थी तब जाकर पर्दाफाश हुआ था कि पति-पत्नी के द्वारा बच्ची को प्रताड़ित किया जा रहा था।
लिखित शिकायत राजेश सिंह द्वारा थाने में दी गई। दंपती द्वारा बच्ची को पढ़ाने के नाम से अपने यहां रखा गया था। मामले में चाइल्ड लाइन के द्वारा बच्ची को सीडब्ल्यूसी में पेश किया गया था जहां बच्ची की काउंसलिंग भी की गई।
राजेश सिंह के आवेदन एवं बच्ची के बयान के आधार पर थाने में मामला पंजीबद्ध किया गया। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक रामकृष्ण साहू ने कहा कि शिकायत प्राप्त होते ही पुलिस ने अत्यधिक संवेदनशीलता एवं तत्परता के साथ अपराध पंजीबद्ध कर आरोपियों को गिरफ्तार किया।
पूछताछ में पता चला कि मासूम की सगी बुआ के द्वारा झाड़ू, पोछा, बर्तन एवं कपड़ा धुलाया जाता था। घर के अन्य कार्य भी कराए जाते थे। यहां तक कि यदि बच्ची कार्य करना भूल जाए या कार्य में लापरवाही बरते तो बुआ का कहर मासूम पर टूटता था।
बालिका के बयान में यह बात निकलकर सामने आई है कि बुआ के द्वारा लोहे की छड़, चिंमटा, ताला, बेलन,फोन से भी मारपीट की जाती थी। यहां तक कि गरम चिमटे से भी हाथ जला दिया था जिसके निशान भी बालिका के शरीर मे जगह-जगह दिखाई दे रहे थे।
प्रताड़ित बच्ची से मिलने जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिराजुद्दीन कुरेशी, एडीजे मधुसूदन चंद्राकर, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी निक्सन डेविड लकड़ा सखी सेंटर पहुंचे थे। बालिका से आत्मीयता से चर्चा कर अपनत्व भरे भाव से हुई मुलाकात में बच्ची को खुशी देने की कोशिश की गई थी। महिला बाल विकास अधिकारी को बच्ची के बेहतर इलाज एवं संरक्षण के निर्देश दिए गए थे।