आईजी ने इस मामले में एक प्रेस नोट भी जारी किया है। प्रेस नोट में कहा गया है कि 27 सितम्बर को नक्सलियों के द्वारा दिये गये नाराओं को अक्षरशः बोलते हुये कुछ संगठनों द्वारा भारत बंद सफल बनाने का समर्थन किया जा रहा है। यह समर्थन कोई संयोगगवश नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश प्रतीत हो रही है। नक्सलियों के समर्थकों पर निगरानी रखी जा रही है। विगत वर्षों में सीपीआई माओवादी संगठन द्वारा बस्तर संभाग में हिंसात्मक घटनाएं कर 1797 से अधिक निर्दोष ग्रामीणों की हत्या की गई तथा करोड़ों की शासकीय एवं निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी संगठन के शहीदी सप्ताह, स्थापना सप्ताह, जनपितुरी सप्ताह इत्यादि आयोजन सिर्फ उनके नकारात्मक एवं हिंसात्मक कार्यों का एक मुखौटा है। क्षेत्र की जनता द्वारा नक्सलियों के विकास विरोधी एवं जन विरोधी चेहरा को समझ लेने के कारण से नक्सलियों को किसी प्रकार का समर्थन नहीं दे रहे हैं।सिलगेर में पुलिस कैंप के विरोध और इस विरोध के बीच पुलिस फायरिंग में मारे गये लोगों को न्याय दिलाने के लिए इलाके के लोग लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच 27 सितंबर से दोबारा से सिलगेर में आंदोलन करने की घोषणा की गई है। 27 सितंबर से सिलगेर में होने वाले आंदोलन के समर्थन में कई संगठनों ने पर्चे व पोस्टर जारी किये हैं।इनमें से कुछ संगठनों के पर्चे व पोस्टर बिल्कुल नक्सलियों के पर्चे व पोस्टर से मिलते जुलते हैं। पोस्टर में लिखे गए नारे, मुद्दे सब का प्रयोग अक्सर नक्सली करते हैं। ऐसे में अब बस्तर पुलिस ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि आंदोलन करना लोगों का लोकातांत्रिक अधिकार है। लोग जहां चाहे जिस मुद्दे पर चाहें आंदोलन कर सकते हैं, बस्तर पुलिस उन्हें नहीं रोकेगी। लेकिन यदि कोई नक्सलियों से प्रेरित होकर उनके प्रोपोगंडा को आगे बढ़ायेगा तो फिर उन पर कार्रवाई की जाएगी।
बस्तर आई जी – प्रतिबंधित संगठन को समर्थन देना अपराध
प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी संगठन का किसी प्रकार का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देना गैर कानूनी तथा दण्डनीय अपराध होगा। पुलिस एवं सुरक्षा बल द्वारा इस प्रकार के व्यक्तियों तथा संगठनों की गतिविधियों के ऊपर सख्त निगरानी रखी जा रही है। इस संगठन से जुड़ने वालों पर कार्रवाई होगी।