देहरादून न्यूज़ धमाका // ग्लोबल वार्मिंग ने भगवान को भी नहीं बख्शा है। इस बार पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी के बावजूद ग्लोबल वार्मिंग का असर दिखने लगा है। बद्रीनाथ धाम में जहां पहले साल के इस समय चार फीट तक बर्फ रहती थी, वहां अब बर्फ है ही नहीं। इस साल तो केदारनाथ धाम में भी परिसर से बर्फ हटाने की जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि यहां जमी बर्फ पिघल चुकी है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अगर ऐसी ही गर्मी पड़ती रही तो ऊंची चोटियां भी बर्फविहीन हो जाएंगी।
ऊंची चोटियां भी हो सकती हैं बर्फविहीन
गंगोत्री और यमुनोत्री में भी इस साल नाममात्र की बर्फ रह गई है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर बारिश नहीं हुई और इसी तरह गर्मी पड़ती रही, तो ऊंची चोटियां भी बर्फविहीन हो जाएंगी। दरअसल, बद्रीनाथ धाम में मार्च महीने में करीब तीन से चार फीट तक बर्फ जमी थी, जो अब तेजी से पिघलने लगी है। यहां तप्तकुंड, परिक्रमा स्थल, परिसर और आस्था पथ पर बर्फ पूरी तरह से पिघल गई है। यहां से 3 किमी की दूरी पर स्थित देश के अंतिम गांव माणा में भी बर्फ तेजी से पिघल रही है। फरवरी माह में यहां पांच से छह फीट तक बर्फ जम गई थी।
पिछले साल 15 अप्रैल तक जमी थी बर्फ
बामणी गांव जो बर्फ से पूरी तरह ढक गया था, वहां भी बर्फ गायब हो गई है। गंगोत्री धाम में आस-पास जमी बर्फ 20 मार्च तक ही पिघल चुकी थी। पिछले साल तक धाम में बर्फ 15 अप्रैल तक जमी हुई दिखती थी। यमुनोत्री धाम की स्थिति भी यही है। यहां भी बर्फ तेजी से पिघल रही है।
हेमकुंड साहिब से अच्छी खबर ये है कि वह करीब 10 फीट बर्फ से ढका हुआ है।
केवल हेमकुंड साहिब में अभी दस फीट तक बर्फ
राहत की बात ये है कि प्रसिद्ध हेमकुंड साहिब अभी करीब 10 फीट बर्फ से ढका हुआ है। हेमकुंड साहिब के आस्था पथ और गुरुद्वारे से बर्फ हटाने के लिए सेना के जवान 15 अप्रैल तक यहां पहुंच जाएंगे। यदि मौसम में बदलाव इसी तरह होता रहा तो मई महीने तक हेमकुंड से भी बर्फ पिघल जाएगी।
आसमान से बरस रहे आग के गोले
बता दें कि 2022 का मार्च महीना पिछले 122 साल में सबसे ज्यादा गर्म रहा है। मार्च महीने में पारा 40 के पार चला गया था। इसका सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग ही है। इससे पहले मार्च 2010 में सामान्य औसत तापमान 33.09 डिग्री सेंटीग्रेड था, जबकि मार्च 2022 में औसत तापमान 33.1 डिग्री सेंटीग्रेड हो गया।
अगर बात मार्च 2020 की करें तो उत्तर पश्चिम भारत के कई इलाकों में भीषण गर्मी थी। पिछले कुछ सालों में हमने बेमौसम सामान्य से अधिक गर्मी, सर्दी और बारिश का अनुभव किया है।