बड़ी संख्या में पहुंचेंगे संतान चाहने वाले दंपती, मात्र खीरा का प्रसाद खाने से मिल जाती है संतान, विज्ञान के लिये भी बडी चुनौती है। संतान प्राप्ति के प्रमाण यहां आने वाले सैकडों श्रद्धालू माताओं की गोद में खेल रहे नौनिहालों की किलकारियां के रूप में दिखते है। इस अनुभव को यहां आ कर महसूस किया जा सकता है।
माता के आयोजन के लिये सभी तैयारियां गांव वालों के सहायोग सेे पूरी कर ली गयी है। जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को कोई तकलीफ ना हो – रवि घोष , स्थानीय वरिष्ठ जनप्रतिनिधि
कोण्डागांव जिले की फरसगांव तहसील अन्तर्गत मां लिंगेश्वरी की गुफा के पट खुलने का इंतजार बस्तरवासियों के साथ-साथ देश भर के लोगों को रहता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि कोण्डागांव जिले माँ लिंगेश्वरी के दरबार में संतान की कामना के साथ ही अन्य भी कई प्रकार की कामनाओ को लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं। संतान देने वाली देवी लिंगेश्वरी के पट खुलेंगे। साल में केवल 1 ही दिन खुलता है मंदिर जहां बड़ी संख्या में पहुंचेंगे संतान चाहने वाले दंपती।
कल खुलेगे माता के पट – इस साल भादो माह के शुक्ल पक्ष की 12 वीं तिथि यानी 7 सितंबर दिन बुधवार को यह द्वार खुलने वाला है। मां लिंगेश्वरी की गुफा के पट खुलने का कल पूरा हो जायेगा। श्रद्धांलुओं के दर्शन पश्चात रात में गुफा के पट बंद कर दिये जाते हैं और श्रद्धांलुओं को माँ के दर्शन के लिए फिर से एक वर्ष का इंतजार करना पड़ता है।
सामाजिक समरसता की अद्भुत मिसाल- माँ लिंगेश्वरी मंदिर के पट खुलने के पहले से लेकर पट के बन्द होने तक सभी समाज के लोगों की अलग-अलग जिमेदारियां बंटी हुई हैं। यादव समाज मंदिर स्थल में पानी और सामग्री लाकर खीर और आटे का प्रसाद बनाकर चढाते हैं। वहीं माली फूल की व्यवस्था, कुम्हार समाज के द्वारा हंडी, दीया, धूप, आरती की व्यवस्था, अंधकुरी समाज का काम बाजा, मोहरी बजाना होता है। इसी तरह दूसरे समाज को भी अलग अलग जिम्मेदारी दी जाती है। समस्त समाजों के लोगों द्वारा अपने कार्यों का निर्वहन पूरी श्रद्धा पूर्वक किया जाता है, तभी माँ लिंगेश्वरी मेला सम्पूर्ण माना जाता है।
दो साल बाद खुल रहे पट, बड़ी संख्या में पहुचेंगे श्रद्धालू- पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी के चलते गुफा के द्वार को भक्तों के लिए नहीं खोला गया था। इस वर्ष माँ लिंगेश्वरी का द्वार 7 सितम्बर खोला जायेगा, उस दिन श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या में पहुंचने की सम्भावना है।