कोंडागांव,न्यूज़ धमाका :- हिंदी के प्रथम आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की 158 वीं जयंती के उपलक्ष्य में राइटर्स एंड जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन, दिल्ली और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेद राष्ट्रीय स्मारक समिति, के तत्वावधान में आज गांधी शांति प्रतिष्ठान, आईटीओ, नई दिल्ली में ‘मामा बालेश्वर दयाल पुरस्कार-2022’ से छत्तीसगढ़ कोंडागांव के डॉ राजाराम त्रिपाठी को सम्मानित किया। इस भव्य राष्ट्रीय समारोह में साहित्य जगत तथा मीडिया जगत की देश की गणमान्य विभूतियां शामिल हुईं।
समारोह में साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में देश की सात चयनित महानुभावों को सम्मानित किया गया।
‘मामा बालेश्वर दयाल पुरस्कार-2022’ से डॉ राजाराम त्रिपाठी को सम्मानित करने का फैसला इसलिए किया गया है कि यह अवार्ड उनके द्वारा विगत तीन दशकों में कृषि क्षेत्र में जनजातीय समुदायों के जीवन में उन्नयन के लिए किए गए सतत अनूठे और अनुकरणीय कार्यों के लिए दिया जा रहा है। बस्तर के ही आदिवासी वन ग्राम ककनार में जन्में तथा पले बढ़े राजाराम के अपने मन में अपनी मातृ-भूमि बस्तर के लिए कुछ कर गुजरने की बचपन से ही ठान ली थी।
अंततः मित्रों परिजनों के लाख मना करने के बावजूद प्रतिष्ठित बैंक के उच्चाधिकारी की नौकरी को लात मारकर, देकर विगत तीन दशकों से बस्तर के आदिवासियों के बीच जैविक तथा वनौषधियो की खेती में लगातार नवाचार करते हुए खेती को लाभदायक उद्यम बनाने में लगे हुए हैं। डॉ त्रिपाठी कृषि क्षेत्र में ज्वलंत विषयों को विभिन्न मंचों पर लगातार उठाने वाली देश की चुनिंदा प्रभावशाली आवाजों में से एक रहे हैं।
इन्होंने अपनी कॉलेज शिक्षा के दिनों में ही कुछ अभिन्न मित्रों के साथ मिलकर बेहद प्रखर तेवर का “बस्तर टुडे” साप्ताहिक समाचार पत्र भी प्रकाशित किया था, जो कि जल्द ही अर्थाभाव के कारण बंद हो गया। वर्तमान में डॉ त्रिपाठी दिल्ली से प्रकाशित जनजातीय चेतना,कला,संस्कृति एवं समाचार की मासिक पत्रिका “ककसाड़ ” के संपादक हैं। आप ग्रामीण अर्थशास्त्र, कृषि, रोजगार आदि विषयों पर देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगातार लिख रहे हैं।
आप की अधिकांश कविताएं बस्तर के सरोकारों पर केंद्रित हैं तथा बस्तर को समर्पित हैं। इसीलिए आप को “बस्तर का सुर सप्तम” कवि कहा जाता है। आप बस्तर तथा बस्तर तथा बस्तर की स्थानीय बोली हल्बी की प्रबल पक्षधर हैं।