18 मौसमी नाले बने बारहमासी, किसान करने लगे साल में दो फसलें
कोंडागांव न्यूज़ जंगल में सूखते पेड़ों को बचाने और मिट्टी कटाव को रोकने के लिए भी नरवा योजना संजीवनी साबित हो रही है। इस क्रम जिले में फ्लैगषिप योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के तहत् जल संचय और जल स्रोतो के संरक्षण के तहत् विगत दो सालों में कुल 62 नालों में कार्य किया गया है । जिसकी कुल लंबाई 524.29 किमी है।
नरवा के 21 करोड के 10 हजार में से 9 हजार कार्य पूर्ण
नरवा के उपचार के लिए कुल 10156 कार्य लिये गये है। जिनकी कुल लागत 21.57 करोड़ रूपये है। नरवा कार्यो में अब तक 9120 कार्य पूर्ण कर लिए गये है जिसमें कुल 15.288 करोड़ रूपये का व्यय किया गया है। जिनमें 205 गैबियन निर्माण, 1652 लुज बोल्डर चैक डेम, 179 डाइक, 1756 30-40 माॅडल, 26 चैक डेम 4 स्टाप डेम 6 अर्धन डेम के साथ-साथ डबरी तालाब, मेड़ बंधान, ब्रष हुड, गलीप्लग जैसे जल संरचनाओं का निर्माण किया गया है। ड्रेनैज ट्रीटमेंट और कैचमेंट ऐरिया ट्रीटमेंट के बाद पहले सितम्बर तक बहने वाले नरवा अब फरवरी माह तक लबालव रहते है।
किसानों का बढ रहा जीवन स्तर
जिससे खरीफ और रबी फसल के लिए पानी मिलने के कारण फसल पैदावार और वनोपज में बढ़ोतरी देखने को मिली है। जो किसान पहले एक फसली खेती तक सिमित रहते थे वे अब दुगुने उत्साह के साथ डबल फसल ले रहे है। इससे उनके जीवन यापन के साथ उनके आर्थिक स्तर में भी आष्र्चयजनक सुधार परिलक्षित हुआ है। इस तरह अब तक जिल में नरवा योजना के क्रियान्वयन से लगभग 128 ग्राम पंचायत के किसान लाभान्वित हुये है।
11 को मिला नया जीवन ,18 अब हो गये बारहमासी
नालों में जल संरचनाओं के निर्माण से जिले के कुल 11 नालो को पुनर्जीवित कर लिया गया है साथ ही 18 नालों में बारहमासी पानी रहने लगा है। नाला के विकास से इसका दुसरा सुखद पहलू यह रहा कि नाला के विकास से 1605.876 हैक्टयर सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि भी हुई है। एवं संबधित ग्राम में भूमिगत ग्राम में 9.64 इंच की औसतन वृद्धि दर्ज होने के साथ-साथ नाले की आस-पास की भूमि में 1.24 प्रतिषत मृदा में नमी के स्तर में बढ़ोतरी हुई है। नरवा योजना के षुरूवाती परिणाम ही उत्साह जनक रहे है।
सीधा फायदा मिला किसानों को
इसका सीधा फायदा किसानो को हुआ है। जिन्हे मानसूनी सीजन के पष्चात दूसरी फसल लगाने के लिए पर्याप्त पानी मिलने लगा है। जिले में तो किसी किसान ने तो अपनी फसल दुगुनी कर ली तो किसी ने मजदूरी छोड़ सब्जियों की खेती आरंभ कर दी और अधिकतर किसानो नें नरवा के पानी से दुबारा धान की खेती कर के अपनी आर्थिक दशा को नयी दिशा दी।