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 सौतेली मां की हत्या के आरोप में 11 साल जेल में रहा  सुप्रीम कोर्ट से अब निर्दोष साबित

रायपुर न्यूज़ धमाका -: छत्तीसगढ़ के एक गरीब ग्रामीण को 11 साल के लिए जेल में डाल दिया गया, जब निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने उसे एक साथ एक हत्या के लिए दोषी ठहराया, जबकि उसने ऐसा कुछ नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी बेगुनाही साबित कर दी। यह मामला देश की धीमी गति वाली आपराधिक न्याय प्रणाली का उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद परिवार में खुशी की लहर है।

11 साल बाद मिला न्याय

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की बिलासपुर पीठ ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखने में पांच साल और सुप्रीम कोर्ट ने उसे हत्या के आरोपों से बरी करने में छह साल लगा दिए। कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से पहले उसके अपराध को साबित करने में विफल रहा है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया है

ये है मामला

दरअसल, रायपुर के खरोरा गांव में 2 मार्च, 2013 को अपनी सौतेली मां को जबरन पानी में डुबोने के आरोप में रत्नू यादव को गिरफ्तार किया गया था। निचली अदालत ने 9 जुलाई, 2013 को फास्ट ट्रैक ट्रायल के जरिए उसे दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। HC ने 7 अप्रैल, 2018 को ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किया था न्याय मित्र

वहीं, आरोपी के लिए कोई वकील पेश नहीं हुआ, इसलिए SC ने अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड पर रखे गए साक्ष्यों की जांच के आधार पर न्यायोचित निष्कर्ष पर पहुंचने में अदालत की सहायता के लिए अधिवक्ता श्रीधर वाई चितले को न्याय मित्र नियुक्त किया। चितले ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि मौत डूबने से हुई थी, लेकिन अभियोजन पक्ष ने यह साबित करने का भार नहीं उठाया है कि यह हत्या थी।

हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के मामले खारिज कर दिए

अभियोजन पक्ष के मामले में कुछ और इसी तरह की विसंगतियां पाए जाने के बाद, पीठ ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों को खारिज कर दिया, आरोपी को बरी कर दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता का अपराध उचित संदेह से परे साबित नहीं हुआ है।

बयान से पलट गया गवाह

न्याय मित्र ने यह भी बताया कि गवाह, जिसके सामने आरोपी ने न्यायेतर स्वीकारोक्ति करने का दावा किया है, मुकदमे के दौरान अपने बयान से पलट गया, जिससे अभियोजन पक्ष की इस कहानी की विश्वसनीयता खत्म हो गई कि उस व्यक्ति ने अपनी सौतेली मां को जबरन डुबो दिया।

गवाही विश्वसनीय है

जस्टिस ए एस ओका और राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि मानवीय आचरण का सामान्य नियम यह है कि यदि कोई व्यक्ति अपने द्वारा किए गए अपराध को स्वीकार करना चाहता है, तो वह उस व्यक्ति के समक्ष ऐसा करेगा, जिस पर उसे पूर्ण विश्वास है। अभियोजन पक्ष का यह मामला नहीं है कि अपीलकर्ता (यादव) का घटना से पहले एक निश्चित अवधि तक इस गवाह से घनिष्ठ परिचय था। इसके अलावा, मुख्य परीक्षा और जिरह में गवाह का बयान पूरी तरह से अलग है। इसलिए, हमारे विचार से गवाह की गवाही विश्वसनीय नहीं है।

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Chhattisgarh News Dhamaka Team

स्टेट हेेड छत्तीसगढ साधना प्लस न्यूज ( टाटा प्ले 1138 पर ) , चीफ एडिटर - छत्तीसगढ़ न्यूज़ धमाका // प्रदेश उपाध्यक्ष, छग जर्नलिस्ट वेलफेयर यूनियन छत्तीसगढ // जिला उपाध्यक्ष प्रेस क्लब कोंडागांव ; हरिभूमि ब्यूरो चीफ जिला कोंडागांव // 18 सालो से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। विश्वसनीय, सृजनात्मक व सकारात्मक पत्रकारिता में विशेष रूचि। कृषि, वन, शिक्षा; जन जागरूकता के क्षेत्र की खबरों को हमेशा प्राथमिकता। जनहित के समाचारों के लिये तत्परता व् समर्पण// जरूरतमंद अनजाने की भी मदद कर देना पहली प्राथमिकता // हमारे YOUTUBE चैनल से भी जुड़ें CG SADHNA PLUS NEW

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