रायगढ़ न्यूज़ धमाका – शहर में देखा जाए तो औसतन प्रतिदिन 3 -4 लोग अस्पताल उपचार के लिए आए है जबकि जिले के सीएचसी, पीएचसी सिविल अस्पताल की रिकार्ड बयानगी करे तो यह हालात भयावह को दर्शाने वाला हैं। जबकि इन बेसहाराओं से निजात दिलाने जिला प्रशासन,निगम अमला की सभी योजना कागजो में सिमटकर दम तोड़ दी है। जिले में बेसहारा कुत्तों का आतंक इतना बढ़ गया है कि हर दिन दो-चार लोग इनके शिकार हो रहे हैं। यह आतंक ठंड और गर्मी बरसात सभी मौसम में नजर आ रहा है। देखा जाए तो कुत्तों का काटने का क्रम सबसे अधिक गर्मी और ठंड में सामने आया हैं। जिसमें इस वर्ष 2024 में जनवरी माह 165 व फरवरी में 150 प्रकरण दर्ज हुआ है। मार्च में 124 लोगो को कुत्तों ने काटा है। इधर गर्मी मौसम में अप्रैल 99, मई 88 व जून में 92 लोग इनके शिकार हुए है। ज्यादातर घटनाएं पैदल व मोटरसाइकिल से गंतव्य की ओर जा रहे थे लोग इसके शिकार हुए हैं। कुत्तो के दौड़ाने का क्रम अमूमन शहर में तड़के सुबह व रात्रि में अधिक नजर आया हैं। शहर के अधिकांश वार्ड मोहल्ले में रामभाटा ,इंदिरा नगर, पंजरी प्लांट, केवडाबाड़ी बस स्टैंड ,जूटमिल ,चक्रधर नगर , कायाघाट , बेलादुला , टीवी टावर सहित क्षेत्र में आवागमन करना खतरे से खाली नही है।
नसबंदी योजना की रिकार्ड
बेसहारा कुत्ते झुंड बनाकर दौड़ाते है इसकी वजह से लोग भयभीत रहते है। जिसका कोपभाजन आमजन को व छोटे बच्चे को सबसे अधिक उठाना पड़ रहा है। इधर रिकार्ड की बात की जाए तो शहर में 30 हजार से अधिक कुत्ते विभिन्न इलाके में हैं हालांकि इसके कोई आधिकारिक रिकार्ड नही है लेकिन नसबंदी योजना की रिकार्ड इस संख्या को दर्शा रहा है। बहरहाल जिम्मेदार विभाग के उदासीनता से हर रोज आमजन को कुत्तों के काटे जाने का दंश उठाना पड़ रहा है।
लोगों का सैर करना भी हुआ दूभर
शहर के पार्कों व अन्य स्थानों में बेसहारा कुत्तों की इतनी भरमार है कि सैर करना भी लोगों के लिए मुश्किल हो रखा है। लोगों को यही डर सताता है कि कहीं उन पर ये कुत्ते हमला न कर दें। पैदल सैर करने वाले बुजुर्ग व युवा हाथ मे बचाव के लिए डंडे तक अपने पास रखे रहते है वह केवल अपने बचाव में रखते है वही डंडे को देखकर कुत्ते भी उनसे दूर रहते है हालांकि कई बार झुंड में ये कुत्ते भौंकते है जिससे राहगीरों को हमले से डर रहता है। जिसके दौड़ने भागने के चलते वाहन सवार दुर्घटना का शिकार भी हो जाते है।
निगम का डाग हाउस कोरे सपने की तरह
शहर में बेसहारा कुत्तों के आतंक से पूरा शहर सहमा हुआ है। वही इन्हें सुरक्षित स्थान में भेजने एवं रखने की योजना निगम प्रशासन ने 2 वर्ष पूर्व में बनाई थी जिसमे डाग हाउस का निर्माण करना था। जबकि यह स्वान हाउस के लिए एक दशक से निगम प्रशासन विभिन्न स्तर में कवायद कर चुकी है। वर्तमान में इसके लिए स्थल चयन भी किया जा चुका था परंतु आज तक इस डाग हाउस का निर्माण के लिए एक ईंट तक नही रखा जा सका। वही इसके लिए बजट सदन में रखा गया हैं वह भी कोरे सपने की तर्ज पर है।
कुत्ते की संख्या और, दंश भी बढ़ा, निगम की सभी योजना फेल शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा कुत्तों का आतंक काफी बढ़ गया है, लेकिन इनकी जनसंख्या को कम करने नगर निगम की तरह से किसी भी प्रकार की पहल नहीं की जा रही है। वही जो प्रयास किया जाता है वह भी धरातल तक नहीं पहुंच पाती, नसबंदी योजना भी फेल हो गई है।
जिससे गली-मोहल्लों से लेकर शहर के सडक़ों पर इनका आतंक आसानी से देखा जा सकता है। वही ये कुत्ते बच्चे बड़े सभी वर्गों को अपना निशाना बना रहे है। कुत्ते पैदल चलने वाले या बाइक चालकों को दौड़ाकर काट ले रहे हैं, जिससे हर दिन दो-चार लोग कुत्ते के काटने से अस्पताल पहुंच रहे हैं।
मांस – मटन दुकान के चलते बन रहे आक्रमक
शहर व ग्रामीण अंचल में जगह-जगह मांस मटन की दुकान खुल चुकी है। सुबह से लेकर लेकर शाम तक विभिन्न उत्पाद पकवान के रूप में बनाकर लोगों को परोसा जाता है। दुकानदार व ग्राहक कच्चे व पक्के मांस के विभिन्न टुकड़े को यत्र तत्र फेंक दिया जाता है ऐसे में बेसहारा कुत्तों का झुंड आपस में खाने के लिए आक्रामक रूप से लड़ते हैं यही आक्रामक रूप आम जनता के लिए भी रहता है।
कुत्तों का दंश, अब बना जानलेवा
एक व्यक्ति ने गवाया जान शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा कुत्तों का आतंक काफी बढ़ गया है, लेकिन इनकी जनसंख्या को कम करने नगर निगम की तरह से किसी भी प्रकार की पहल नहीं की जा रही है।, पूर्व में नसबंदी की गई थी करोड़ो रूपये खर्च किए गए थे लेकिन वह कारगर साबित नही हुआ। नसबंदी योजना भी फेल हो गई है।इधर शहर ग्रामीण अंचल में जगह जगह मांस मटन की दुकान खुल चुकी है। इन्हें खाने के चक्कर मे कुत्ते आक्रमकता दिखाते है। इस तरह कुत्तों का दंश मृत्यु तक पहुंचा रही हैं। जिसमे इस साल 1 की जान भी जा चुकी है।
2024 में कुत्तों के काटे जाने का प्रकरण
साल दर साल कुत्तों के काटे जाने का प्रकरण साल – कुत्ते काटे जाने का प्रकरण2021-11772022-10252023-10502024-721( जून तक) नोट- यह आंकड़ा केवल मेडिकल कालेज अस्पताल का है।माह -प्रकरणजनवरी -165फरवरी -150 मार्च -124अप्रेल -99मई-88जून-92 कुल- 721
वर्जन
बेसहारा कुत्तों की संख्या बढ़ गई है। हमारे विभाग पास डाग, स्नैक व कैट बाइट उपलब्ध है किसी भी व्यक्ति को अगर कुत्ते अपना शिकार बनाते है तो उन्हें बैगेर लापरवाही किए तत्काल अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर समुचित इलाज करवाना चाहिए। लापरवाही से बचना चाहिए। – डा एस माने, उप अधीक्षक, मेकाहारा रायगढ़0-0