कोरबा न्यूज़ – हाथी प्रभावित आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत मातिन के आश्रित ग्राम लोड़ीबहरा में मिडिल स्कूल भवन जर्जर हो चुका हैं। बच्चाें को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत हाईस्कूल में बैठाया जा रहा है। यहां भी सिपेज की वजह से फर्श में पानी भर रहा है। दो स्कूलों के 200 बच्चों को एक साथ बैठाने पढ़ाई प्रभावित हो रही है। पोड़ी उपरोड़ा के हाथी प्रभावित क्षेत्र ग्राम मातिन के आश्रित लोड़ीबहरा में संचालित हाई स्कूल भवन में बैठक व्यवस्था व्यवस्था को लेकर विद्यार्थियों खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
गांव में संचालित मिडिल स्कूल भवन जर्जर हो चुका है। इस वजह से बच्चों को हाईस्कूल में ही बैठाया जा रहा है। स्कूल में व्यवस्थित बैठक के लिए दो पाली में कक्षाएं लगाई जा सकती थी, लेकिन एक ही पाली में छठवीं से लेकर दसवीं के बच्चों को बुलाया जा रहा है। इसके पीछेे शाला के शिक्षकों कहना है कि सुबह की पाली में कक्षा लगाने से दूर दराज गांव के बच्चों को सूर्योदय से पहले उठकर स्कूल के लिए आना पड़ता है। हाथी प्रभावित क्षेत्र होने से कभी भी बच्चों का आमना सामना दंतैल हाथी से हो सकता हैं।सुबह 10.30 बजे कक्षा लगाने से वन मार्ग से लोगाें का आना- जाना शुरू हो जाता है। इससे कमोबेश हाथी के आसपास होने की सूचना मिल जाती है और बच्चे सुरक्षित मार्ग से आवागमन करते है। ग्राम पंचायत का आश्रित ग्राम लोड़ीबहरा में क्षेत्र का एक मात्र हाई व मिडिल स्कूल है। इस स्कूल में निकटवर्ती ग्राम नवारा, घुमानीडांड़, मातिन, सासिन व ग्राम बेतला के बच्चे पांच से सात किलोमीटर की दूरी तय कर पढ़ाई करने आते हैं। ग्राम पंचायत मातिन में पांच आश्रित ग्राम है। इसमें घोघरापारा भी शामिल है। भवन के अभाव यहां भी एक मात्र अतिरिक्त कमरे में पांच कक्षा का संचालन किया जा रहा है।
भवन निर्माण
यहां भी नए भवन निर्माण के लिए 15 लाख की स्वीकृति मिली हैं। निर्माण कार्य पंचायत की ओर से कराया जा रहा है। स्कूल में पहली से पांचवी कक्षा तक बच्चाें की दर्ज संख्या 26 है। कमरा तंग होने के कारण वर्षा के दौरान पढ़ाई बाधित रहती है। 15 लाख रूपये स्वीकृति के बाद भी निर्माण अधूरामिडिल स्कूल निर्माण के लिए शासन की ओर से 15 लाख रूपये की स्वीकृति हुई। पहले किश्त की राशि ढाई लाख रूपये से नींव स्तर का ही काम पूरा हुआ है। शिक्षा विभाग ने पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाया है। ग्राम पंचायत ने निर्माण की जिम्मेदारी स्वयं ली है। नींव स्तर तक काम करके छोड़ दिया है।वैकल्पिक व्यवस्था के तहत मिडिल स्कूल को हाईस्कूल भवन में शाला संचालन को दो साल बीत जाने के बाद भी शिक्षा विभाग की ओर निर्माण का आकलन नहीं किया गया है। जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।ग्रीष्म अवकाश में नहीं ली गई सुधार की सुधबताना होगा कि जिले में 1526 प्राथमिक शाला का संचालन हो रहा है। सरकारी आकलन के अनुसार जर्जर स्कूलों की दशा सुधार की दिशा में समय रहते पहल नहीं करने की वजह से उपयोगहीन होते जा रहे हैं।