उज्जैन,न्यूज़ धमाका :- बीते दो माह से निर्बाध गति से हो रहे गेहूं के निर्यात कारोबार पर अचानक सरकारी आदेश से रोक लग गई है। नतीजतन जिले के करीब 1000 ट्रक कांडला में अटक गए हैं, जो कि एक सप्ताह से अनलोडिंग का इंतजार कर रहे थे। पांच से सात लाख क्विंटल गेहूं के सौदों पर अनिश्चितता के बादल गहरा गए हैं, जिसके चलते कारोबारियों को करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान बताया जा रहा है। इससे व्यापारियों में हड़कंप मच गया है। व्यापारी सरकार से निर्यात में छूट के लिए 15 दिन का समय मांग रहे हैं।
रूस व यूक्रेन युद्ध के चलते विश्व कारोबार में गेहूं की भारी किल्लत महसूस की जा रही थी। इसका फायदा भारत को हो रहा था, जिसे सरकार भी भरपूर सहयोग कर रही थी। यहां से लाखों टन गेहूं विदेशों में निर्यात होने लगा था। दो माह के विदेशी कारोबार के चलते उज्जैन जिले की मंडियों से भी 80 फीसद गेहूं विदेश जाने के लिए कांडला पोर्ट जा रहा था,
जिससे मंडियों में सीजन के दौरान ही 300 से 400 रुपये क्विंटल की तेजी आ गई थी लेकिन शुक्रवार की रात को अचानक केंद्र सरकार द्वारा निर्यात नीति में फेरबदल कर देने से कारोबार रुक गया। मंडियों में गेहूं के लेवाल गायब हो गए।
शनिवार की मंडी नीलामी में गेहूं के भाव में 150 से 200 रुपये क्विंटल की मंदी देखने को मिली। बीते एक सप्ताह से कांडला में प्रदेशभर के करीब 8000 व जिले के 1000 ट्रक अनलोडिंग के लिए खड़े हैं। इन ट्रकों में करीब 25 लाख क्विंटल गेहूं भरा हुआ है।
कारोबारी संदीप सारड़ा ने बताया कि निर्यात नीति में अचानक फेरबदल का असर गेहूं कारोबार पर पड़ा है। निर्यातकों ने लाखों टन गेहूं के सौदों को निरस्त करने का मन बना लिया है, जिससे ऊंचे भाव में खरीदा गेहूं व्यापारी के गले पड़ गया। जिले से ही करीब पांच लाख क्विंटल गेहूं के सौदों में उलझन पैदा हो गई है, जिससे करीब 100 करोड़ का नुकसान हो सकता है।