पेंशनर भवन कोंडागांव में हिंदी साहित्य भारती इकाई कोंडागांव द्वारा राष्ट्र वंदन अतीत का अभिनंदन श्रंखला के अंतर्गत हल्बी के अन्यतम कवि सोनसिंग पुजारी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकप्रिय लोक साहित्यकार हरिहर वैष्णव थे । आमंत्रित अतिथि हिंदी साहित्य परिषद कोंडागांव के जिला अध्यक्ष हरेंद्र यादव एवं विशिष्ठ अतिथि कवि सोनसिंग पुजारी के सुपुत्र पूर्व टीआई कोंडागांव नरेंद्र पुजारी थे।
मंच संचालन मधु तिवारी ने किया-परिचर्चा की शुरुआत हिंदी साहित्य भारती जिला कोंडागांव के जिलाध्यक्ष उमेश मंडावी ने किया उन्होंने सोनसिंग पुजारी की कविताओं में
प्रतीकों और उपमाओं के माध्यम से बस्तर के यथार्थ के सुंदर चित्रण की प्रशंसा करते हुए उन्हें सूर्यकांत त्रिपाठी निराला नागार्जुन व रामधारी सिंह दिनकर के समकक्ष का कवि बतलाया। उत्तम नाइक ने अपनी कविता के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि दी। हिंदी साहित्य भारती के महामंत्री बृजेश तिवारी ने उनकी कविताओं की प्रशंसा करते हुए उन्हें बस्तर के प्रति समर्पित साहित्यकार बताया। कवि सोनसिंग पुजारी के सुपुत्र नरेंद्र पुजारी ने पिता से जुड़े संस्मरण सुनाये और उन्हें बस्तर के लोगो के विकास के लिए आवाज उठाने वाला कलमकार बताया। हरेंद्र यादव ने कवि सोनसिंग पुजारी को बेहतरीन प्रशासक सहृदय सवेदनशील कवि बताया और उनसे जुड़े संस्मरण सुनाये। लोकप्रिय चित्रकार खेम वैष्णव ने उनके साथ बिताए अपने संस्मरण सुनाकर उनके लोकप्रिय गीत का गायन किया। मुख्य अतिथि हरिहर वैष्णव ने सोनसिंग पुजारी की कविताओं पोरटा ,आईख चो पानी , माडामार चो पुत्तर, अंधार चो देश एवं बांज मंतर का जिक्र कर उनकी कविताओं को उच्च स्तरीय बताया तथा कविताओं के संकलन व प्रकाशन से जुड़े संस्मरण सुनाये और कविताओं का सस्वर गायन किया। संचालिका मधु तिवारी ने बस्तर के मूर्धन्य साहित्यकारों की रचनाओं का संकलन कर जन जन तक पहुँचाने को सच्ची श्रद्धांजलि बताया।कवियित्री गिरिजा निषाद ने भी अपने विचार रख श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम के अंत मे सभी उपस्थित साहित्यकारों ने दो मिनट का मौन धारन कर कवि सोनसिंग पुजानरी व उनकी पत्नी को श्रद्धांजलि दी । इस अवसर पर नगर के साहित्य प्रेमी व प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।इस दौरान शासन द्वारा निर्धारित कोविड 19 के दिशा निर्देशों का पालन किया गय